1 साल में ₹36014 करोड़ का हुआ डिजिटल फ्रॉड, अब AI कसेगा शिकंजा

1 साल में ₹36014 करोड़ का हुआ डिजिटल फ्रॉड, अब AI कसेगा शिकंजा

AI in banking security

AI in banking security

AI in banking security: भारत दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल करने वालों देशों में से एक हैं. बड़े- बड़े दुकानों से लेकर छोटी फल-सब्जियों की दुकानों तक ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा उपलब्ध हो रही है. आज भारत में बहुत बड़ी आबादी डिजिटल पेमेंट ऑप्शन का यूज करती है. एक ओर तो जहां, डिजिटल पेमेंट करने वालों की संख्या में तेजी आई है. वहीं, ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ गए है.

भारतीय रिजर्व बैंक की डेटा की बात करें तो, साल 2024 में 36,014 करोड़ रुपए की डिजिटल फ्रॉड के मामले सामने आए. इस फ्रॉड को रोकने के लिए देश के दो बड़े बैंक नई एआई आधारित सिस्टम पर काम कर रहे हैं. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा मिलकर इस समस्या का समाधान निकाल रहे हैं. जिसके तहत संदिग्ध लेनदेन को रियल टाइम में रोका जा सकेगा.

क्या है दोनों बैंको की तैयारी?

एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा मिलकर एक ऐसा सिस्टम बना रहे हैं, जिसमें एआई और मशीन लर्निंग का यूज करके रियल टाइम (जिस समय आप डिजिटल पेमेंट कर रहे हो) में इस तरह की धोखाधड़ी को पकड़ा और रोका जाएगा. इस सिस्टम को बनाने के लिए शुरुआती स्तर पर दोनों ही बैंक 10-10 करोड़ का निवेश करेगी. साथ ही, देश के अन्य सरकारी बैंक भी इस पहल के हिस्सेदार बनेंगे. 

बैंक अभी किस सिस्टम पर करती है काम

बैंकों के द्वारा इस समय आरबीआई की म्यूलहंटर एआई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा हैं. बैंक ऐसे खाते की जानकारी निकाल कर, उसपर कार्रवाई करती है.  जिसका इस्तेमाल धोखाधड़ी से प्राप्त किए गए पैसों की लेन-देन के लिए किया जाता है. ऐसे खातों को म्यूल अकाउंट कहा जाता है.

भारतीय रिजर्व बैंक के इनोवेशन हब ने म्यूलहंटर एआई विकसित की है. कुछ दिनों पहले, आरबीआई की ओर से जानकारी दी गई थी कि, रिजर्व बैंक एक ऐसी डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म पर काम कर रहा है. जिसके इस्तेमाल से ऑनलाइन फ्रॉड को रियल टाइम में पकड़ा जाएगा.